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चीन के राष्ट्रपति से मिले NSA डोभाल, डोकलाम में 42 दिन से जारी है विवाद

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बीजिंग/नई दिल्ली.सिक्किम के डोकलाम एरिया को लेकर जारी विवाद के बीच शुक्रवार को भारत के एनएसए (राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार) अजीत डोभाल ने चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से बीजिंग में मुलाकात की। इससे पहले गुरुवार को डोभाल ने चीन के एनएसए यांग जिआची से मुलाकात की थी। डोभाल ने ब्रिक्स देशों के एनएसए के साथ जिनपिंग से मुलाकात की। उधर, डोकलाम विवाद पर चीन के सरकारी मीडिया ने भारत को फिर धमकी दी है। कहा है, “डोकलाम मसला चीन-भूटान बॉर्डर विवाद है। इसमें थर्ड पार्टी के तौर पर भारत को दखल देने का क्या हक है? नई दिल्ली के तर्क के मुताबिक अगर उसे ये हक है तो ये बहुत खतरनाक होगा क्योंकि अगर कश्मीर मसले पर पाकिस्तान ने अपील की तो चीन की आर्मी वहां विवादित एरिया में घुस सकती है, जिसमें भारत के अधिकार वाला कश्मीर भी शामिल है।” बता दें कि डोकलाम में 42 दिन से भारत-चीन के सैनिक आमने-सामने हैं। ये इलाका एक ट्राई जंक्शन (तीन देशों की सीमाएं मिलने वाली जगह) है। चीन यहां सड़क बनाना चाहता है, पर भारत-भूटान इसका विरोध कर रहे हैं। चीन बोला- भूटान ने भारत से नहीं मांगी थी मदद…
– चीन के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स ने गुरुवार को अपने एक आर्टिकल में भारत को ये धमकी दी है। झांग यी के इस आर्टिकल में कहा गया है कि भूटान की ओर से भारत से कोई मदद नहीं मांगी गई थी, लेकिन भारत फिर भी इस मुद्दे में अपना अड़ंगा लगा रहा है।
– अखबार ने लिखा है, “भूटान सरकार की तरफ से जारी 29 जून के बयान में भारत सरकार से मदद मांगने का कोई जिक्र नहीं था। डिप्लोमैटिक सूत्रों के मुताबिक भूटान सरकार को तो भारत की घुसपैठ के बारे में भी नहीं मालूम था।”
बिना शर्त पीछे हटने से भारत का इनकार
– भारत ने डोकलाम से अपनी सेनाएं बिना शर्त वापस बुलाने की चीन की मांग ठुकरा दी है। चीन के सरकारी न्यूज पेपर पीपुल्स डेली के एक रिपोर्टर के सवाल पर इंडियन फॉरेन मिनिस्ट्री के स्पोक्सपर्सन गोपाल बागले ने ये जवाब दिया है। बागले ने कहा, “हमने डोकलाम मसले पर अपना नजरिया और रास्ता खोजने के तरीके को चीन के सामने साफ कर दिया है।” बागले ने ये भी कहा, “सीमा के मसले को निपटाने के लिए दोनों देशों के बीच पहले से एक सिस्टम बना हुआ है और मौजूदा विवाद को लेकर भी हमें उसी दिशा में आगे बढ़ना होगा। इंटरनेशनल कम्युनिटी ने इस बात का सपोर्ट किया है कि इस मुद्दे का हल बातचीत से होना चाहिए। हमने इंटरनेशनल लेवल पर अपने नजरिए को साफ कर दिया है।”
चीन ने क्या कहा था?
– चीन की सरकारी न्यूज एजेंसी शिन्हुआ ने कहा था कि सिक्किम इलाके में मौजूद डोकलाम पर कोई समझौता नहीं होगा। भारत बॉर्डर से अपनी फौज हटाए, तभी इस मुद्दे पर बातचीत मुमकिन है। दरअसल, चीन के साथ तनातनी खत्म करने के लिए इंडियन फॉरेन मिनिस्ट्री ने डिप्लोमैटिक चैनल इस्तेमाल करने की बात कही थी। चीनी मीडिया ने उसी के जवाब में ये कहा।
चीन के एनएसए से मिले डोभाल
– भारत के एनएसए डोभाल ने गुरुवार को चीन के एनएसए यांग जिआची से बात की। ब्रिक्स देशों के एनएसए की मीटिंग्स के बीच दोनों अलग से मिले और बाइलैटरल रिश्तों पर बात की। इस बातचीत को डोकलाम विवाद के समाधान से जोड़ा जा रहा है। डोभाल और जिआची भारत-चीन बार्डर मैकेनिज्म के स्पेशल रिप्रेजेंटेटिव हैं।
– डोभाल ने शुक्रवार को BRICS (ब्राजील, रूस, भारत, चीन और साउथ अफ्रीका) देशों से कहा कि वे क्षेत्रीय और वैश्विक महत्व के मसलों खासकर आतंकवाद से निपटने में एकजुटता दिखाएं। उन्होंने कहा, “हमें सुरक्षा से जुड़े मसलों पर चर्चा के लिए एक ब्रिक्स फोरम बनाना चाहिए जिसका वैश्विक शांति और स्थिरता पर असर पड़ेगा।”
क्या है डोकलाम विवाद?
– ये विवाद 16 जून को तब शुरू हुआ था, जब इंडियन ट्रूप्स ने डोकलाम एरिया में चीन के सैनिकों को सड़क बनाने से रोक दिया था। हालांकि चीन का कहना है कि वह अपने इलाके में सड़क बना रहा है।
– इस एरिया का भारत में नाम डोका ला है जबकि भूटान में इसे डोकलाम कहा जाता है। चीन दावा करता है कि ये उसके डोंगलांग रीजन का हिस्सा है। भारत-चीन का जम्मू-कश्मीर से लेकर अरुणाचल प्रदेश तक 3488 km लंबा बॉर्डर है। इसका 220 km हिस्सा सिक्किम में आता है।
भारत की क्या है चिंता?
– नई दिल्ली ने चीन को बता दिया है कि चीन के सड़क बनाने से इलाके की मौजूदा स्थिति में अहम बदलाव आएगा, भारत की सिक्युरिटी के लिए ये गंभीर चिंता का विषय है। रोड लिंक से चीन को भारत पर एक बड़ी मिलिट्री एडवान्टेज हासिल होगी। इससे नॉर्थइस्टर्न स्टेट्स को भारत से जोड़ने वाला कॉरिडोर चीन की जद में आ जाएगा।
दोनों देशों के सैनिक 100 मीटर पर आमने-सामने
– इंडियन आर्मी के जवानों ने चीनी सैनिकों के अड़ियल रवैये को देखते हुए सिक्किम के डोकलाम इलाके में 9 जुलाई से अपने तंबू गाड़ रखे हैं। बॉर्डर पर दोनों देशों की 60-70 सैनिकों की टुकड़ी 100 मीटर की दूरी पर आमने-सामने डटी हैं। दोनों ओर की सेनाएं भी यहां से 10-15 km की दूरी पर तैनात हैं।

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